GDP Full form: आपने बहुत बार जीडीपी शब्द सुना होगा लेकिन आप लोगों को जीडीपी शब्द का फुल फॉर्म शायद ही पता होगा और जीडीपी किसे कहते हैं? इसके बारे में भी आपको कम ही जानकारी होगी आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि जीडीपी का फुल फॉर्म क्या होता है? और जीडीपी का आकलन किस तरीके से किया जाता है? और किसी भी देश की जीडीपी का उस देश के लिए क्या महत्व होता है? और जीडीपी से आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है? इन सभी बातों के जवाब आपको आज हमारे इस आर्टिकल में मिलने वाले हैं तो इन सभी बातों के जवाब जानने के लिए हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
GDP का फुल फॉर्म
जीडीपी का फुल फॉर्म “ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट” होता है इसे हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद भी कहा जाता है। 1 साल में देश में पैदा होने वाले सभी सेवाओं और सामानों की कुल वैल्यू को उस देश की जीडीपी कहा जाता है। देश की जीडीपी उस देश की मार्कशीट होती है जिसमें उस देश की सभी सेक्टर की जानकारी होती है।
आपको एक उदाहरण के द्वारा समझाते हैं कि आखिर जीडीपी (GDP) किस तरह से काम करता है जैसे भी किसी बच्चे की मार्कशीट होती है जिसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि उस बच्चे ने साल भर में अपने सभी विषयों में किस तरह का प्रदर्शन किया है उसी तरह से जीडीपी भी देश की आर्थिक गतिविधियों के सभी तरह के क्षेत्रों का प्रदर्शन पता करने के लिए होती है। जीडीपी के द्वारा हम यह पता लगा सकते हैं कि देश में किस सेक्टर में तेजी हुई है और किस सेक्टर में गिरावट हुई है ताकि सरकार को आने वाली आर्थिक स्थितियों को मजबूत करने में एक सहारा मिल सके और उन्हें सही आंकड़े मिल सके जिसके द्वारा वह अपनी आर्थिक गतिविधियों का बखूबी संचालन कर सके।
अगर जीडीपी का डाटा सुस्त नजर आता है इसका मतलब यह होता है कि देश में आर्थिक व्यवस्था बिगड़ती हुई नजर आ रही है और पिछले साल के मुकाबले इस साल देश की अर्थव्यवस्था में लगातार बिगाड़ा हुआ है लेकिन यदि जीडीपी का डाटा पहले से ज्यादा सही नजर आता है तो इसका मतलब यह होता है कि देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार हो रहे हैं और देश के कई सेक्टर में आर्थिक व्यवस्था का संचालन अच्छी तरीके से किया जा रहा है।
जीडीपी का आंकलन
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में सेंट्रल स्टैटिसटिक्स ऑफिस साल में 4 बार जीडीपी का आकलन करते हैं मतलब कि हर 3 महीने में जीडीपी का आकलन किया जाता है और इन 3 महीनों के जीडीपी के आकलन के आधार पर ही जीडीपी की ग्रोथ के आंकड़े जारी किए जाते हैं और यह आंकड़े हर साल में जारी किए जाते हैं।
GDP के मुख्य घटक
भारत में जीडीपी के तीन प्रमुख घटक हैं जिनके आधार पर भारत की जीडीपी तय की जाती है और यह तीन प्रमुख घटक है कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र आदि। भारत की जीडीपी इन तीनों क्षेत्रों के ऊपर ही निर्भर होती है यदि इन 3 क्षेत्रों की जीडीपी में इजाफा होता है तो आप समझ सकते हैं कि भारत की विकास दर में भी इजाफा हो रहा है लेकिन यदि इन 3 क्षेत्रों में जीडीपी को लेकर बढ़ोतरी नहीं होती है तो आप समझ सकते हैं कि भारत की जीडीपी दर घट रही है और किसी भी तरह का कोई भी मुनाफा नहीं हो रहा और देश की अर्थव्यवस्था भी गिर रही है।
GDP का इतिहास
आपको बता दें कि देश दुनिया में सबसे पहले जीडीपी का कांसेप्ट लाने वाले व्यक्ति का नाम कांसेप्ट विलियम पीटी है। इनके द्वारा ही जीडीपी का यह कांसेप्ट पूरे देश दुनिया में लाया गया था और यह कांसेप्ट 1652 से 1674 के बीच लाया गया था इनके बाद सन 1695 में इस जीडीपी के कांसेप्ट को चार्ल्स देवनंट ने और भी ज्यादा बड़े स्तर पर पहुंचाया था और इसके डेवलपमेंट में अपना योगदान दिया था। आपको बता दें कि सन 1944 से जीडीपी को किसी भी देश की अर्थव्यवस्था मापने का एक जरिया बना दिया गया।
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