मकर संक्रांति पर निबंध – Makar Sankranti Essay In Hindi

Makar Sankranti Essay In Hindi 2024: मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल 14 जनवरी को सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस त्योहार के दोरान पूरे देश में एक अलग ही उमंग होती है। सभी लोग इस त्योहार को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है।

जब यह त्योहार नजदीक आता है तो अक्सर स्कूलों में बच्चों को मकर संक्रांति पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। अगर आपको भी Makar Sankranti Hindi Nibandh लिखने के लिए कहा गया है तो यह आर्टिकल आपकी काफी मदद करेगा।

मकर संक्रांति पर हिन्दी में निबंध कुछ इस प्रकार है।

मकर संक्रांति पर निबंध 200 शब्दों में

मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में काफी विशेष त्योहार है, जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है तो तब यह त्योहार मनाते है। इसलिए कभी-कभी यह त्योहार एक दिन पहले या बाद में यानी 13 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता है, हालांकि ऐसा बहुत कम हुआ है।

इस त्योहार का सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से हैं, जब सूर्य मकर रेखा पर आता है। इस त्योहार को भारत में अलग-अलग क्षैत्रों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। अलग-अलग जगहों पर इसका नाम और मनाने का तरीका भी अलग हैं, जैसे- संक्रांति (आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक), पोंगल पर्व (तमिलनाडु), लोहड़ी पर्व (पंजाब और हरियाणा), और बिहू (असम)।

मकर संक्रांति पर विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है, और साथ ही तिल व गुड़ का भी इस त्योहार पर काफी महत्व है। इसके अलावा इस त्योहार पर पतंगबाजी भी काफी जोरों शोरों से होती है। इस दिन सभी लोग मिलकर अपनी छत पर सुबह से शाम तक पतंग उड़ाते हैं।

मकर संक्रांति के त्योहार को पुण्य और दान का पर्व भी कहा जाता है। लोग इस दिन तीर्थों और पवित्र नदियों में स्नान करते है। और साथ ही राशि के अनुसार तिल, गुड़, खिचड़ी, फल तथा धन आदि का दान करके पुण्य प्राप्त करते है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते है।

मकर संक्रांति पर निबंध (Makar Sankranti Essay in Hindi)

प्रस्तावना

नए साल के शुरू होते ही हर कोई मकर संक्रांति के त्योहार का इंतजार करता है। क्योंकि यह हिंदू धर्म में काफी प्रमुख त्योहार है, जो सूर्य के उत्तरायन होने पर मनाया जाता है। इस त्योहार की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीख पर नही, बल्कि हर साल सिर्फ 14 जनवरी को मनाया जाता है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। यह एक ऐसा त्योहार है, जिसका सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है। हर साल सूर्य 14 जनवरी को ही मकर रेखा पर आता है, इसलिए इस त्योहार की तारीख निश्चित है। हालांकि कभी-कभी सूर्य उत्तरायन का समय आगे-पीछे हो जाता है, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है।

मकर संक्रांति का अर्थ क्या है

मकर संक्रांति दो शब्दों से मिलकर बना है, मकर और संक्रांति। मकर का अर्थ होता है मकर राशि, और संक्रांति का अर्थ होता है परिवर्तन। अत: इसका मतलब है कि जब सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन होता है तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

इस दिन आकाश में रंग-बिरंगे पतंग उड़ते है, और हर कोई सुबह से शाम तक छत पर पतंग उड़ाता है। इसके अलावा महिलाएं तिल से बनी चीज़े बनाती है, और साथ ही दान धर्म भी करती है।

भारत में हिंदू धर्म में मकर संक्रांति त्योहार का काफी ज्यादा महत्व है।

मकर संक्रांति क्यो मनाई जाती है

भारत में मकर संक्राति को मनाने के पीछे काफी सारी मान्यताएं है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरुओं के बीच युद्ध समाप्त किया था, जो हजारों वर्षों से चल रहा था। इसलिए इसे बुराई का अंत और सच्चाई के युग की शुरूआत के रूप में मनाया जाता है।

खगोलशास्त्रों के अनुसार सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण में आता है, या पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ मुड़ जाता है तो उस दिन मकर संक्रांति मनायी जाती है। इसके अलावा शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब उत्तरायन में आता है तो वह समय देवताओं के लिए दिन माना जाता है, जिसे सकारात्मकता और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति से संबंधित एक सनातन मान्यता यह भी है कि इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते है। शनिदेव मकर राशि के स्वामी है, और सूर्य भगवान के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव कम हो जाता है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य की अराधना करते है, और दान पुण्य करते है, ताकि शनि जनित दोष दूर हो जाए।

मकर संक्रांति को लेकर और भी काफी सारी मान्यता है, जिसकी वजह से भारत में अलग-अलग जगहों पर इस त्योहार को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का त्योहार कब मनाते है

मकर संक्रांति का त्योहार विशेष रूप से 14 जनवरी को ही मनाया जाता है क्योंकि केवल इसी दिन सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है। इस त्योहार का सीधा संबंध पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थिति से है, इसलिए इसे केवल 14 जनवरी को मनाया जाता है। हालांकि कभी-कभी इसे एक दिन पहले या बाद में यानी 13 या 15 जनवरी को भी मनाया जाता है, लेकिन ऐसा काफी कम हुआ है।

मकर संक्रांति का त्योहार कैसे मनाते है

मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह-सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन कर स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना काफी शुभ होता है। बहुत सारे लोग इस दिन तिल और गुड़ के लड्डू एवं अन्य व्यंजन भी बनाते है। इसके अलावा उत्तर भारत में दाल और चावल की खिचड़ी बनायी जाती है, इसलिए इस त्योहार को खिचड़ी का त्योहार भी कहा जाता है।

इस दिन सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री का आदान-प्रदान करती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है। इसके अलावा बच्चे -बड़े सभी अपनी छत पर पतंग उड़ाते है, और साथ में डीजे भी बताते है।

मकर संक्रांति का दिन काफी हर्षोल्लास वाला होता है। इस दिन हर घर में कुछ अलग ही रोनके होती हैं। बहुत सारे लोग इस दिन दान पुण्य भी करते है, ताकि उन्हे आशीर्वाद मिल सके। इसलिए इस त्योहार को दान-पुण्य का पर्व भी कहते है।

इस त्योहार को भारत में अलग-अलग क्षैत्रों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल में इसे संक्रांति कहा जाता है, और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व कहा जाता है। पंजाब व हरियाणा में इसे लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है, और वही असम में इसे बिहू पर्व के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति त्योहार का महत्व

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का काफी ज्यादा महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन सूरज धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, और इसके साथ सूर्य के उत्तरायण की गति भी शुरू हो जाती है, और सर्दी खत्म व दिन लंबे होने लगते है।

मकर संक्रांति का त्योहार किसानों के लिए काफी उत्साह और उल्लास का त्योहार होता है। क्योंकि इस दिन हाड़ कंपाती हवाएं खत्म हो जाती है, और नई फसलों के उगने का समय आ जाता है। इस दिन से मौसम परिवर्तन शुरू हो जाता है, और दिन लंबे होने लगते है।

यह त्योहार संचार और गति का प्रतीक है। क्योंकि इस दिन लोग अपनी सर्दियों के आलस्य को छोड़कर एक्टिव हो जाते है। इस त्योहार का वैज्ञानिक महत्व भी है, क्योंकि इस दिन लोग सुबह-सुबह सूर्य की  धूप में पतंग उड़ाते है, जिससे उनके शरीर को काफी सारे लाभ मिलते है।

इस दिन हम तिल और गुड़ जैसी चीज़े भी खाते है तो हमारे सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं। कुछ जगहों पर गुड़ी और घी के साथ खिचड़ी भी खायी जाती है।

मकर संक्रांति के दिन काफी सारे लोग दान व पुण्य भी करते हैं। इस त्योहार का हमारी जिंदगी में काफी ज्यादा महत्व है। भारत में अलग-अलग जगहों पर इस त्योहार का अलग-अलग महत्व हैं।

पुण्य प्राप्ति और दान देने का त्योहार

मकर संक्रांति को पुण्य और दान का पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन बहुत सारे लोग गरीबों, और ब्राह्मणों को दान करते है। लोग दान में तिल गुड़ से बने लाड्डू, चावल-दाल, चिवड़ा, कपड़ा, और नकदी जैसी अनेक चीज़े देते है। इस दिन बहुत सारा दान किया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दान से सूर्य देवता प्रसन्न होते है।

उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में बहुत सारे लोग इस दिन गंगा स्नान करते है, क्योंकि गंगा में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

महाभारत के अनुसार इस त्योहार का महत्व

मकर संक्रांति के त्योहार के लिए महाभारत की एक घटना भी काफी ज्यादा प्रचलित है। ऐसा बताया जाता है कि महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था। और उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में ही हुआ था। इसलिए पितरों की प्रसन्नता के लिए तिल अर्घ्य एव जल तर्पण की प्रथा आज भी मकर संक्रांति पर काफी प्रचलित है।

उसंहार

मकर संक्रांति का त्योहार सुख, समृद्धि और नई शुरूआत का प्रतीक है। इस दिन को सभी लोग हर्षोल्लास के साथ धुमधाम से मनाते है। इस दिन अनेक जगहों पर पतंगबाजी के बड़े-बड़े कार्यक्रम होते हैं। सच बताऊं तो इस दिन बहुत ही अलग खुशी मिलती है। इस त्योहार का हर कोई बेशब्री से इंतजार करता है। मेरे सबसे प्रिय त्योहारों में से एक त्योहार मकर संक्रांति है।

मकर संक्रांति पर निबंध 10 लाइन

  1. मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
  2. इस त्योहार को हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है।
  3. मकर संक्रांति का अर्थ है – “मकर राशि में सूर्य का प्रवेश”।
  4. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
  5. मकर संक्रांति का दिन नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
  6. इस दिन लोग सुबह से शाम तक पतंगबाजी करते हैं।
  7. मकर संक्रांति त्योहार पर अनेक पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे- तिलगुड़, गुजिया, और खीर आदि।
  8. मकर संक्रांति को लोग दान-पुष्य भी करते है।
  9. भारत में मकर संक्रांति को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से मनाते हैं।
  10. मकर संक्रांति का त्योहार हमें खुशी, समृद्धि और नई शुरूआत का संदेश देता है।

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