Saraswati Puja Essay in Hindi | सरस्वती पूजा पर निबंध

Saraswati Puja Essay in Hindi: सरस्वती पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार हैं, जो विद्यार्थीयों के जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है, जिस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है। हमारे हिंदू धर्म में सरस्वी माता को बुद्धि की देवी कहा जाता है जो शांति, समृद्धि और बुद्धि का वरदान देती है।

सुख, शांति, समृद्धि, बुद्धि व सफलता के लिए हर कोई सरस्वती माता की पूजा करता है। इसके साथ ही स्कूल व कॉलेजों में भी सरस्वती मां की पूजा की जाती है। इसके अलावा स्कूल और कॉलेजों में निबंध व भाषण प्रतियोगिताएं भी होती है।

चलिए अब हम सरस्वती पूजा पर निबंध पढ़ते है।

Saraswati Puja Essay in Hindi – सरस्वती पूजा पर निबंध

सरस्वती पूजा एक हिंदू त्योहार है, जिसे बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती मां की पूजा करते है। यह त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। भारत में सरस्वती मां को विद्या, बुद्धि, संगीत, कला और ज्ञान की देवी माना जाता है।

सरस्वती पूजा को बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। भारत में वसंत पंचमी का त्योहार प्रचीन काल से प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी क्षैत्र में कला अथवा शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सरस्वती मां की पूजा करनी चाहिए।

सरस्वती पूजा का त्योहार कब मनाते है

सरस्वती पूजा का त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार के बाद वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है, और सभी फले खील उठती है।

हर साल सरस्वती पूजा का त्योहार जनवरी या फरवरी माह में मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में सरस्वती पूजा का त्योहार 14 फरवरी 2024 को बुधवार को है। 2023 में, यह त्योहार 26 जनवरी को मनाया गया था।

सरस्वती पूजा क्यों की जाती है

सरस्वती पूजा करने के पीछे कई पौराणिक कथाएं मौजुद हैं। पुराणों में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए यह त्योहार मनाया जाता है।

कथाओं के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, तब सभी जीवों और वनस्पतियों का निर्माण भी किया था। लेकिन संसार की रचना के बाद सारा जगत मूक और रंगहीन था, तब ब्रह्मा जी ने समस्या के निदान के लिए भगवान विष्णु की स्तुति की।

भगवान विष्णु ने इस समस्या के हल के लिए आदिशक्ति दुर्गा मां की याचना की। इसके बाद दुर्गा मां एक नया रूप बनाया जिसकी चार भुजाएं थी, और उनकी भुजाओं (हाथ) में वीणा, कमंडल, पुस्तक और माला थी। इस नए रूप को सरस्वती नाम दिया गया।

दुर्गा मां की आज्ञा से सरस्वती माता परम पिता ब्रह्मा जी की अर्धांगिनी बनी। सरस्वती माता माता के वीणा से निकले मधुर स्वरों ने पूरे संसार में जीवन डाल दिया। इसलिए सरस्वती पूजा के बाद बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है।

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण जी ने सरस्वती मां के कार्यों से खुश होकर उन्हे यह वरदान दिया था कि हर वर्ष वसंत पंचमी के दिन उन्हे विद्या और कला की देवी के रूप में पूजा जाएगा। इसलिए हर साल हम यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाते है।

सरस्वती पूजा का महत्व

सरस्वती पूजा का हिंदू धर्म में काफी ज्यादा महत्व है। यह त्योहार केवल भारत में नही बल्कि भारत के साथ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है, जैसे कि नेपाल, बांग्लादेश। सरस्वती पूजा का उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथों में भी किया गया है, जो बताते है कि यह त्योहार कितना महत्वपूर्ण है।

सरस्वती पूजा को बसंत पंचमी (Basant Panchami) के नाम से भी जाना जाता है जो जीवन और प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। बसंत पंचमी पर्व को हिंदू के अलावा जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लोग मनाते हैं और देवी सरस्वती की पूजा करते है।

माना जाता है कि सरस्वती पूजा करने से एक अच्छी बसंत ऋतु का आगमन होता है, जिससे फूलों में बहार आ जाती है, खेतों में सरसों सोने की तरह चमकता है, जौ और गेंहू की बालियां खिल उठती है, आमों के पेड़ों पर बौर लगते हैं और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियां मंडराने लगती है।

इसके अलावा सरस्वती पूजा का विद्यार्थीयों के जीवन में भी काफी महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर हम सरस्वती की पूजा करते है तो सरस्वती मां हमें बुद्धि और वैभव का वरदान देती है।

सरस्वती पूजा की विधि

भारत में प्राचीन काल से ही सरस्वती माता की पूजा की जा रही है। इस दिन लोग अपने पूरे घर को सुबह जल्दी साफ कर देते है। इसके बाद स्नान करके पीला वस्त्र पहनते हैं क्योंकि सरस्वती माता को पीला वस्त्र काफी पसंद है। इसके लोग पूजा की तैयारी में लग जाते है।

लोग सरस्वती माता की मूर्ति को स्थापित करते है और फिर उनका श्रृंगार भी करते है। और फिर उन्हे पीले फूलों, चंदन, अक्षत, रोली, माला, इत्यादि अर्पित करते है तथा दीपक जलाते है।

सरस्वती पूजने के लिए सभी लोग एक साथ इकट्ठा होते है और फिर माता सरस्वती की आरती करते है। आरती खत्म करने के बाद सभी लोग प्रसाद ग्रहण करते है। और फिर अंत में लोग सरस्वती माता की प्रतिमा को विसर्जित कर देते है।

घरों के अलावा स्कूल और कॉलेजों जैसे शैक्षणिक संस्थानों में भी सरस्वती पूजन किया जाता है। स्कूलों में यह त्योहार काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सबसे पहले स्कूल के प्रधानाध्याक जी सरस्वती के सामने दीपक जलाकर पूजा शुरू करते है।

इसके बाद सभी विद्यार्थी अपने उज्जवल भविष्य और आशीर्वाद की कामना करते है। इस दिन विद्यार्थी सरस्वती पूजन पर भाषण भी देते है। इसके बाद अंत में माता का प्रसाद सभी विद्यार्थीयों के बीच बांटा जाता है।

सरस्वती पूजा के लाभ

सरस्वीत पूजा करने से काफी लाभ मिलते हैं, जैसे कि…

  • ज्ञान, बुद्धि और कला में बढ़ोत्तरी होती है।
  • जींदगी के हर काम में सफलता मिलती है।
  • जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  • हमारी जिंदगी से अंधकार दूर होकर रोशनी आती है।
  • एक अच्छी बसंत ऋतु आती है।

सरस्वती देवी के कई नाम

भारत देश में मां सरस्वती को अनेक नामों से जाना जाता हैं, जैसे- भारती, गिरा, शारदा, महाश्वेता और विध्यवासिनी। भारत में अलग-अलग जगहों पर सरस्वती माता को इन अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं।

सरस्वती पूजा पर निबंध 10 लाइन (Saraswati Puja Essay In Hindi 10 Lines)

  1. सरस्वती पूजा हिंदुओं का काफी महत्वपूर्ण पर्व है।
  2. यह दिन माता सरस्वती के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है।
  3. इस पर्व पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते है और प्रसाद बनाते है।
  4. सरस्वती मां को ज्ञान, संगीत, कला और वाणी की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
  5. इस दिन विद्यार्थी नई पुस्तकों और लेखन सामग्री की पूजा करते हैं।
  6. लोग घर में सरस्वती मां की मूर्ति को स्थापित करके उनका श्रृंगार करते है।
  7. स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में भी सरस्वती पूजा का कार्यक्रम होता है।
  8. इस दिन सभी विद्यार्थी, शिक्षक और कलाकार मां सरस्वती की पूजा करके आशीर्वाद लेते है।
  9. इस दिन सभी लोग ज्ञान, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति का वरदान मांगते हैं।
  10. सरस्वती पूजा का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है।

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निष्कर्ष

मनुष्य को अपनी जिंदगी में सरस्वती माता का आशीर्वाद ज़रूर लेना चाहिए, क्योंकि बिना सरस्वती माता के आशीर्वाद के हम सच्चे ज्ञान को प्राप्त नही कर सकते है। हम सभी को वसंत पंचमी के पर्व पर धूमधाम से सरस्वती माता की पूजा करनी चाहिए, और अपने व अपनों के उज्जवल भविष्य की कामना करनी चाहिए।

सरस्वती पूजा एक ऐसा पर्व है जो ज्ञान, बुद्धि और कला के महत्व को याद दिलाती है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से हमे ज्ञान, बुद्धि, वैभव, और कला प्राप्त करने में मदद मिलती हैं।

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