BPO Full Form In Hindi | BPO क्या होता है और BPO में नौकरी कैसे करे

BPO Full Form In Hindi | BPO Ka Full Form | BPO In Hindi | बीपीओ फुल फॉर्म | BPO क्या होता है | BPO Ka Full Form | बीपीओ का मतलब

दोस्तों क्या आप जानते है की बीपीओ फुल फॉर्म और बीपीओ क्या होता है अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े क्योकि यहां हम बीपीओ के बारे में विस्तार से जानकारी शेयर करेंगे।

BPO Full Form In Hindi (बीपीओ फुल फॉर्म)

BPO Full Form In Hindi बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग होता है, यह एक तीसरे पक्ष द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा है।

BPO Ka Full Form: Business Process Outsourcing

B – Business

P – Process

0 – Outsourcing

BPO क्या होता है? (What Is BPO In Hindi)

बीपीओ का मतलब बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग होता है। इसके जरिये अनेक देशी व विदेशी कंपनियां अपने व्यवसाय से सम्बंधित कुछ विशिष्ट कार्यो या जिम्मेदारियों को तीसरी पार्टी के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके सौंप देती है।

सौंपे गए सभी कार्य व जिम्मेदारियां तीसरी पार्टी को पूरा करना होता और इसके लिए निर्धारित मूल्य भी दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग यानि बीपीओ कहलाती है। यह प्रक्रिया किसी राष्ट्र के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर दोनों पर हो सकती है।

बीपीओ कितने प्रकार के होते हैं ?

दोस्तों बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग कई प्रकार की होती है, अगर आप बीपीओ में नौकरी करना चाहते हैं तो इसके प्रकारों के बारे में जानना जरूरी है, सभी प्रकार के बीपीओ इस प्रकार हैं –

बैक ऑफिस आउटसोर्सिंग:- इसमें फाइनेंस और एकाउंटिंग, मानव संसाधन और आईटी सेवाओं जैसी आंतरिक व्यावसायिक प्रक्रियाओं की आउटसोर्सिंग शामिल होती है।

फ्रंट ऑफिस आउटसोर्सिंग:- इसमें ग्राहक से बातचीत करने वाली प्रक्रियाओं जैसे ग्राहक सेवा, बिक्री और मार्केटिंग को आउटसोर्स करना शामिल है।

नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग:- इसमें रिसर्च एंड डेवलपमेंट, लीगल सर्विसेज और एनालिटिक्स जैसी नॉलेज-बेस्ड प्रोसेस करना होता है।

कानूनी प्रक्रिया आउटसोर्सिंग:- इसमें डॉक्यूमेंट रिव्यु, कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट और लीगल रिसर्च जैसी कानूनी प्रक्रियाओं की आउटसोर्सिंग की जाती है।

हेल्थकेयर प्रोसेस आउटसोर्सिंग:- इसमें मेडिकल बिलिंग और कोडिंग, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन और इन्शुरन्स क्लेम प्रोसेसिंग जैसी स्वास्थ्य संबंधी प्रक्रियाओं को आउटसोर्स करना शामिल है।

ई-कॉमर्स आउटसोर्सिंग:- इसमें आउटसोर्सिंग ई-कॉमर्स संबंधित प्रक्रियाएं शामिल हैं जैसे ऑर्डर प्रोसेसिंग, इन्वेंट्री मैनेजमेंट और सप्लाई

अगर आप बीपीओ में काम करना चाहते हैं तो इसमें काम करने के लिए आपके पास कुछ योग्यता होनी चाहिए, आइए यह भी जान लें कि बीपीओ में काम करने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए।

बीपीओ में काम करने के लिए योग्यता

BPO Ka Full Form बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग है, इस पद पर कार्य करने के लिए निम्नलिखित योग्यताए होनी आवश्यक है:-

शैक्षिक योग्यता:- अधिकांश बीपीओ नौकरियों के लिए हाई स्कूल डिप्लोमा या समकक्ष की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता होती है। हालांकि, कुछ पदों के लिए फाइनेंस या आईटी जैसे विशेष क्षेत्रों में स्नातक की डिग्री की आवश्यकता पड़ सकती है।

कम्युनिकेशन स्किल:- बीपीओ में नौकरियों के लिए अक्सर एडवांस कम्युनिकेशन स्किल की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से इंग्लिश में, क्योंकि इंग्लिश बोलने वाले देशों में ग्राहकों को कई बीपीओ सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

कंप्यूटर स्किल्स:- बीपीओ में नौकरियों के लिए आमतौर पर माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस और अन्य उद्योग में उपयोग किए जाने वाले अन्य सॉफ्टवेयर सहित कंप्यूटर के उपयोगिता की अच्छी समझ की जरूरत होती है।

कस्टमर केयर स्किल:- कई बीपीओ नौकरियों में ग्राहकों के साथ बातचीत करने की जरूरत होती है, इसलिए प्रभावी ढंग से संवाद करने, ग्राहकों के साथ सहानुभूति रखने और कठिन परिस्थितियों को संभालने की क्षमता होना आवश्यक है।

टेक्निकल स्किल्स:- कुछ बीपीओ नौकरियों के लिए विशिष्ट टेक्निकल स्किल्स की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि प्रोग्रामिंग या नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन।

टीमवर्क और सहयोग:- बीपीओ नौकरियों में अक्सर टीमों में काम करना होता है, इसलिए दूसरों के साथ अच्छी तरह से काम करने, प्रभावी ढंग से कम्यूनिकेट करने और विभन्न कार्यों में सहयोग करने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है।

BPO के फायदे और नुकसान

दोस्तों BPO में काम करने के बहुत से फायदे है लेकिन इसके कुछ नुकसान है। चलिए अब बीपीओ के फायदे और नुकसान के बारे में जानते है।

BPO के फायदे

  • गैर-मुख्य कार्यों को आउटसोर्स करके, कंपनियां अपने अत्यधिक मुख्य कामो और रणनीतिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं, जो उन्हें अपना बिज़नेस बढ़ाने में मदद कर सकता हैं।
  • बीपीओ प्रोवाइडर अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं, और ये विशेष सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं जो इन-हाउस उपलब्ध नहीं हैं। इनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के जरिये काम की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है।
  • बीपीओ प्रोवाइडर कुछ सेवा स्तर समझौतों (एसएलए) को पूरा करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से बाध्य होते हैं। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि सेवाएं समय पर और अच्छी क्वालिटी की गुणवत्ता के साथ प्रदान की जाती हैं।
  • BPO किसी भी कंपनी की उत्पादकता में तेजी से बढ़ोत्तरी करती है। इसका मुख्य कारण है जब कोई कंपनी अन्य गैर-मुख्य कार्यो को किसी तीसरे को सौप देती है तो इससे कंपनी पर काम का दबाव कम होता है, जिससे उस कंपनी की उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है।
  • BPO 24×7 सेवाएं प्रदान करता है, जो ग्राहक सेवाओ और प्रोसेसिंग सेवाओ के संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

BPO के नुकसान

बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) कंपनियों को कई लाभ प्रदान करता है। हालांकि, बीपीओ के कई नुकसान भी हैं जो कि निम्नलिखित है:-

  • आउटसोर्सिंग बिज़नेस प्रोसेस से कंपनी के संचालन के कुछ पहलुओं पर कंट्रोल कम हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप गुणवत्ता में कमी, ट्रांसपेरेंसी की कमी और परिवर्तनों को लागू करने में कठिनाई होती है।
  • आउटसोर्सिंग बिज़नेस प्रोसेस किसी कंपनी को सुरक्षा जोखिमों, जैसे डेटा ब्रीचेस, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी और अन्य प्रकार के साइबर खतरों को बढ़ा सकता हैं।
  • आउटसोर्सिंग व्यवसाय प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप गुणवत्ता संबंधी चिंताएँ हो सकती हैं, विशेष रूप से तब यदि थर्ड पार्टी प्रोवाइडर भिन्न मानकों और रेगुलाशन्स वाले किसी भिन्न देश में स्थित है।

बीपीओ के कार्य

बीपीओ का मतलब बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग है। यह किसी थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर को विशिष्ट व्यावसायिक कार्यों को मैनेज करने के लिये जिम्मेदार है। BPO सेवाओ के कार्य निम्नलिखित है:-

  • बैक-ऑफ़िस आउटसोर्सिंग में डेटा टाइपिंग, एकाउंटिंग, ह्यूमन रिसोर्स और फाइनेंस जैसे प्रशासनिक और सहायक कार्यों को आउटसोर्स करना शामिल होता है।
  • फ्रंट-ऑफिस आउटसोर्सिंग में ग्राहक सेवा, टेक्निकल हेल्प और सेल्लिंग जैसे ग्राहक से बातचीत करने वाले कार्यों को आउटसोर्स करना शामिल है।

बीपीओ सेवा प्रोविडेंट के कामो में क्लाइंट संगठन से आउटसोर्स किए गए व्यावसायिक कार्यों को लेना और इन कार्यों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से करने के लिए आवश्यक संसाधन, बुनियादी ढांचा और तकनीक प्रदान करना है।

BPO सैलरी कितनी मिलती है?

एक BPO वर्कर की सैलरी औसतन 3 लाख रुपये सलाना हो सकती है। इसके अतिरिक्त एक एक्सपेरियन्स BPO वर्कर की सैलरी 6 लाख रुपये सालाना तक हो सकती है।

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निष्कर्ष

दोस्तों आप अपने करियर की शुरुआत में बीपीओ में नौकरी कर सकते हैं क्योंकि बीपीओ में नौकरी पाना आसान है। अब हमे उम्मीद है की आप BPO Full Form In Hindi और English, BPO क्या होता है और BPO में नौकरी कैसे करे इसके बारे में समझ गए होंगे।

बाकी ऐसे ही अंग्रेजी के अन्य शब्दों के full form के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हिंदी वर्ल्ड ब्लॉग के फुल फॉर्म सेक्शन को एक बार जरूर चेकआउट करें। धन्यवाद

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